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दुनियां का पहला हवाई जादा

दुनियां का पहला हवाई जादा- शिवकर बापूजी तरपदे एक भारतीय विद्वान थे। उन्होंने 1895 में एक मानवरहित विमान का निर्माण किया था।इनका जन्म 1864 ईसवी में मुंबई ,महाराष्ट्र के एक मराठा यादव परिवार में हुआ था।इन्होंने जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई के स्कूल में अध्ययन किया और वहीं शिक्षक नियुक्त हुए।अपने विद्यार्थी जीवन काल में इनको श्री चिरंजी लाल वर्मा से वेद में वर्णित विधाओं की जानकारी इनको मिली। इन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती कृत ऋग्वेदादीभास्यभूमिका एवम् ऋग्वेद एवम् यजुर्वेद भास्य एवम् महर्षि भारद्वाज की विमान सहिंता का अध्यन कर प्राचीन भारतीय विमानविद्या पर कार्य करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने संस्कृत सीखकर वैदिक विमान विद्या पर रिसर्च शुरू किया। सुब्रमण्यम शास्त्री ने शिवकर की मदद से एक लैब स्थापित किया और वेद मंत्रो के आधार पर आधुनिक काल में पहला वैदिक विमान का मॉडल निर्माण किया। इसका परीक्षण सन 1895 ईसवी में मुंबई के चौपाटी समुद्रतट पर किया गया था जिसे देखने तिलक भी आये थे। ऐसा पढ़ने को मिलता है।परंतु उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार विमान उड़ाने का पहला प्रयास सन 1915 से सन 1917 ईस्वी के मध्य हुआ था।यह कार्य बेंगलुरु के पंडित सुब्रमण्यन के स्वर्गवास 17 सितंबर 1917 को उनका स्वर्गवास हुआ एवम् मरूत सखा विमान निर्माण का कार्य अधूरा रह गया। पंडित शिवकर बापूजी तलपदे का विवाह श्रीमती लक्ष्मी बाई से हुआ था।उनके दो पुत्र एवम् एक पुत्री थे।जेष्ठ पुत्र मोरेश्वर मुंबई पौरपालिका के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे एवम् कनिष्ठ पुत्र बैंक ऑफ बॉम्बे में लिपिक थे। पुत्री का नाम नबुबाई था। पंडित शिवकर बापूजी तलपदे ने निम्न पांच पुस्तके लिखीं हैं।1- प्राचीन विमान कला का शोध। 2- ऋग्वेद प्रथम शुक्त व उसका अर्थ। 3- पतंजलि योगदर्शन अंतर गत शब्दों का भूतार्थ दर्शन। 4- मन और उसका बल। 5- गुरु मंत्र महिमा। उड्डयन का इतिहास – उड्डयन संबंधी यांत्रिक युक्तियों के विकास का इतिहास है। यह पतंगों,ग्लाइडर आदि से शुरू होकर सुपर सानिक विमानों एवम् अंतरिक्ष यानों तक जाता है। वैमानिक शास्त्र – संस्कृत पद्य में रचित एक ग्रंथ है जिसमें विमानों के बारे में जानकारी दी गई है।इस ग्रंथ में बताया गया है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित विमान रॉकेट के समान उड़ने वाले प्रगत वायु गतिकिय यान थे।यही विमान के बारे में लिखीं पहली किताब है। 1250- रोजर बैकन यांत्रिक उड़ान के बारे में लिखा। 1485-1500- लिओनार्डो डाविंची ने उड़ने वाली मशीन व पैराशूट की डिजाइन की। 1783- मंटा गालफियर बन्धु ने प्रथम हवा से हल्की यान बनाया(गुब्बारा )। 1895- शिवकर बापूजी तलपदे ने मुंबई के जुहू चौपाटी के समुद्र तट पर विमान उड़ाया जो 1500 फिट ऊपर उड़ा और फिर नीचे गिर गया।1903- ऑर्विल राइट और बिल्वर राइट ने पहला सफल स्वतः अग्रगामी वायुयान उड़ाया। पुष्पक विमान – हिन्दू पौराणिक महाकाव्य रामायण में वर्णित वायु वाहन था। इसमें लंका का राजा रावण आवागमन किया करता था।इसी विमान का उल्लेख सीता हरण प्रकरण में भी मिलता है।यह विमान मूलतः धन के देवता,कुबेर के पास हुआ करता था,किन्तु रावण ने अपने इस बड़े भाई कुबेर से बलपूर्वक उसकी नगरी सुवर्नमंडित लंकापुरी तथा इसे छीन लिया था।अन्य ग्रंथों में उलेख अनुसार पुष्पक विमान का प्रारूप एवम् निर्माण विधि अंगिरा ऋषि द्वारा एवम् इसका निर्माण एवम् साज सज्जा देव शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा कि गई थी।भारत के प्राचीन हिंदू ग्रंथो में लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व विमान एवम् युद्धों में तथा उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन दिया है।इसमें बहुतायत में रावण के पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है।इसके अलावा अन्य सैनिक छमतावो वाले विमानों,उनके प्रयोग,विमानों की आपस में भिड़ंत अदृश्य होना और पीछा करना,ऐसा उल्लेख मिलता है। यहां प्राचीन विमानों कि मुख्यत दो श्रेणियां बताई गई है – प्रथम मानव निर्मित विमान, जो आधुनिक विमानों कि भांति ही पंखों के सहायता से उड़ान भरते थे,एवम् द्वितीय आश्चर्य जनक विमान, जो मानव द्वारा निर्मित नहीं थे किन्तु उनका आकार प्रकार आधुनिक उड़न तश्तरियों के अनुरूप हुआ करता था। पौराणिक संदर्भ – विमान निर्माण,उसके प्रकार एवम् संचालन का संपूर्ण विवरण महर्षि भारद्वाज विरचित वैमानिक शास्त्र में मिलता है।यह ग्रंथ उनके मूल प्रमुख ग्रंथ यंत्र – सर्वेश्वम का एक भाग है।इसके अतिरिक्त भारद्वाज ने अंशु बोधिनी नामक ग्रंथ भी लिखा है,जिसमें ब्रह्माण्ड विज्ञान का ही वर्णन है। उस समय के इसी ज्ञान से निर्मित व परिचालित होने वाले विमान,ब्रह्माण्ड के विभिन्न ग्रहों में विचरण किया करते थे।इस वैमानिक शास्त्र में आठ अध्याय ,एक सौ अधिकरण,पांच सौ सूत्र और तीन हजार श्लोक है। यह ग्रंथ वैदिक संस्कृत भाषा में लिखा है। इस विमान में जो तकनीक प्रयोग हुई है,उसके पीछे आध्यात्मिक विज्ञान ही है। ग्रंथो के अनुसार आज में किसी भी पदार्थ को जड़ माना जाता है,किन्तु प्राचीन काल में सिद्धि प्राप्त लोगो के पास इन्हीं पदार्थो में चेतना उत्पन्न करने की छमता उपलब्ध थी,जिसके प्रयोग से ही वे विमान की भांति परिस्थितियों के अनुरूप ढलने वाले यंत्र का निर्माण कर पाते थे। वर्तमान काल में विज्ञान के पास ऐसे तकनीकी उत्कृष्ट समाधान उपलब्ध नहीं है,तभी ये बाते काल्पनिक एवम् अतिशयोक्ति लगती हैं।उस काल में विज्ञान में पदार्थ की चेतना को जागृत करने की क्षमता संभवतः रही होगी जिसके प्रभाव से ही यह विमान स्व संवेदना से क्रियाशील होकर आवश्यकता के अनुसार आकार परिवर्तित कर लेता था।पदार्थ की चेतना को जागृत करने जैसी विधावो के अन्य प्रमाण भी रामायण एवम् विभिन्न हिंदू धर्म ग्रंथो में प्राप्त होते है।पुष्पक विमान में यह भी विशेषता थी कि वह उसी व्यक्ति से संचालित होता था,जिसने विमान संचालन यंत्र सिद्ध किया हो। दुनिया का पहला हवाई जहाज बनाने वाला राइट ब्रदर्स नहीं बल्कि एक भारतीय था। आपको बस यह पता है कि राइट ब्रदर्स ने अमेरिका के कैरोलीन तट पर17दिसंबर सन् 1903 को यह कारनामा किया था और उनका बनाया हवाई जहाज करीब 120 फीट की ऊंचाई तक उड़ कर गिर गया था।क्युकी हमें यह पड़ाया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि एक भारतीय कई वर्षों पहले यह कारनामा कर चुका था जिन्होंने सन् 1895 में बहुत बड़ा विमान बनाया था और उसे मुंबई कि चौपाटी के समुद्र तट पर उड़ाया था।यह हवाई जहाज 1500 फीट ऊपर उड़ा और तब नीचे आया था।इनका नाम शिवकर बापूजी तलपदे था जो मुंबई के चिरा बाजार के रहने वाले थे और मुंबई स्कूल ऑफ आर्ट्स के अध्यापक व वैदिक विद्वान थे।उन्होंने महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखे विमान शास्त्र नामक पुस्तक पड़कर ऐसा किया था,जिसके 8 अध्याय में विमान बनाने की तकनीक का वर्णन है। इस विमान का नाम शिवकर बापूजी तलपदे ने मरुत्सखा रखा था जिसका अर्थ हवा का मित्र होता है।इस घटना को बाल गंगाधर तिलक ने अपने पंजाब केसरी के संपादकीय में भी जगह दी थी,साथ ही इस मौके पर दो अंग्रेज पत्रकार भी वहां मौजूद थे। और लंदन के अखबारों में भी यह खबर छपी थी।तत्कालीन भारतीय जज महादेव गोविंदा रानाडे और बड़ोदरा के राजा सत्याजी राव गायकवा ड भी इस घटना के गवाह रहे थे।हजारों लोगों की उपस्थिति में यह विमान उड़ा था। 18 वीं सदी से पहले पूरे विश्व में हवाई जहाज की कोई कल्पना नहीं थी,जब अंग्रेज भारत में आए तो उन्होंने हमारे धर्म ग्रंथों को पढ़ने समझने के लिए संस्कृत सीखी।लॉर्ड मैकाले ने 25वर्ष तक संस्कृत से हिंदू ग्रंथो का अध्यन किया।भारत का ज्ञान रूप से इतना समृद्ध देख कर उसको विश्वास हो गया कि बौद्धिक ज्ञान विज्ञान की समृद्धि के वजह से वो लंबे समय तक भारत को गुलाम बनाने में असफल रहेंगे।अतः उसने हमारे धर्म ग्रंथों में मिलावट तथा झूठी बातों का प्रचार प्रसार करना शुरू किया और राम और पुष्पक विमान को कोरी कल्पना कहना शुरू कर दिया। वो कहते की दिखावों कहा कुछ हवा में उड़ता है ।यह रामायण काल्पनिक है।शिवकर बापूजी तलपदे ने इस कथित कल्पना को सत्य सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंग्रेजो के सामने गुलामी के काल में ही अपने संस्कृत व वेद – उपनिषद के ज्ञान से विश्व का सबसे पहला हवाई जहाज बना के दिखा दिया था।लेकिन इस घटना के बाद वे हमेशा अंग्रेजो के नजरो में खटकते रहे और उनको साजिशों का शिकार होकर गुमनाम हो गए। लंदन की एक कंपनी रिले ब्रदर्स कू के कुछ लोग तलपड़े से मिलने आए और उनसे कहा कि वो डिजाइन मुझे सौंप दे।वे उनकी मदद देने के लिए कहा अंग्रेजो ने धोखा किया ,उन्होंने तकनीक समझ लिया और लंदन से अमेरिका यह डिजाइन पहुंचा दिया।यह कंपनी ब्रिटेन से संबंधित थी। विमान शास्त्र में8 अध्यावो में 3000 हजार श्लोकों और 100 खंडो में विमान बनाने की तकनीक बताई गई है।विमान शास्त्र के मुताबिक 32 तरीको से 500 तरह के विमान बनाए जा सकते है। ये हिंदुस्तान के पहले हवाई जादा थे केसरी अखबार भी इसका उल्लेख करता है ।कुछ लोगो ने कहा तलपदे का विमान हवा में 30 मील तक उड़ा था और 17 मिनट बाद क्रैश हो गया।पत्नी की मृत्यु के बाद उनको तोड़ दिया।53 साल की उम्र में1917 में इनकी मृत्यु हो गई ।इसके बाद हवाई जहाज के ढांचे को उनके रिश्तेदारों ने बेंच दिया।

लेखक – ब्रिजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

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By Brijesh Kumar

Writer, Author, Thinker Scientific Learner and Teacher