यूतो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैंपर अगर हम सभी खाने पीने पर ववशेष ध्यान दे तो बहुत
स्वस्थ रहे! मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदद अनाज 30 ग्राम प्रतत ददन की सेवन से छाती के
कैं सर का खतरा लगभग 52% कम हो जाता है यदद मदहलाएं मोनोपाज अथाात रजो धमा से पहले
मोटे अनाज का सेवन करे। 1. साबूत अनाज – जैसे गेहू सबसे घातक खाद है और यह पेट के
ललए भी अच्छा नह ं है! यह कथन प्रलसद्ध हृदय रोग ववशेषग्य ववललयम डेववस एम. डी. का है ।
2.अलसी _अलसी में 35–40% तेल होता है इसमें 50–60% ओमेगा –3 फे ट एलसड होता है साथ
में 28% रेशे पाए जाते है अलसी हृदय रोग कैं सर, कमर, सूजन आदद ववकारों में व गदिया में
ओमेगा– 3 के पाए जाने के कारण बहुत लाभ दायक है ।
3.जौ–जौ मै 70% काबोहाइड्रेट, 12.5% प्रोट न, रेशे और खतनज पाया जाता है । यह हृदय रोग के
ख़तरे को कम करता है इसमें मुख्य रूप से ववटा –ग्लूकन है जो कक जौ में सबसे जादा पाया
जाता है लगभग 3–11%, जौ की सेवन से रक्त में काबोहाइड्रेट के कारण बड़ने वाल शका रा कक
मात्रा सह अनपु ात में बनी रहती हैव रक्त चाप, ददल की बीमार भी तनयतररत रहती है व कैं सर
के ख़तरे को कम करता है
4.गेहूं – गेहूं का चोकर स्तन व पटे के ख़तरे को कम करता है|
5.बाजरा (पला लमलेट)–इसमें 67% काबोहाइड्रेट, 11.6% प्रोदटन 5% वसा 2.7% खतनज और
12.4%नमी (जल) पायी जाती है यह स्वस्थ शर र को मजबूत बनाता है व पेट को साफ रखता
है। लमलेट मधुमेह को तनयंत्रत्रत करते है।इनसे प्राप्त फाइबर सुगर के अवशोषण को धीमा करता
है।यह हृदय रोग ,मोटापा को कम करता है और यह पेट भरने का एहसास कराता है जजससे हमें
कम भोजन ग्रहण करना पड़ता है।यह बड़ी आंत के कैं सर पर तनयंत्रण रखता है और उच्च रक्तचाप
के तनयंत्रण में लाभदायक है। इनमें पाए जाने वाले एंट ऑजक्सडेंट्स जो इनमें पादप रसायन
(phytochemicals) के रूप में पाए जाते है जो बैड कोलेस्रोल को कम करते है और ये पादप
रसायन हमें फ्री रेडडकल्स से हमारे शर र की कोलशकाओं को बचाते है तथा बढ़ती उम्र को रोकते
है अथाात ये एंट एजजंग होते है। 6. साबुत अनाज दललया गेहूं के अलावा दललया का सेवन भी
आपके ललए फायदेमंद रहता है। नाश्ते में दललया खाने से एक तो लंबे समय तक आपका पेट भरा
रहता है । साथ ह आपका वजन भी बैलैंस रहता है ।व जन एकसमान होने के कारण ब्लड शुगर
या कफर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमाररयों के लशकार नह ं होते । ओटस- साबुत अनाज के तौर पर
हम ओट्स भी खा सकते है। यह ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलस्े रोल लेवल,ब्लड शुगर के
अलावा बॉडी के कोलेस्रॉल लेवल, ब्लड शुगर लेवल और वजन को भी कंरोल रखनेमें मदद करता
है। साबुत अनाज काबोहाईड्रेट का अच्छा स्रोत होने के साथ ह इनमें जजंक जैसा पोषक तत्व भी
प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। शर र में जजंक की थोड़ी सी कमी स्वास्थ पर प्रततकूल प्रभाव डाल
सकती है।जजंक की कमी से न लसफा रोगों से लडने की हमार सकती कमजोर पड़ती है बजल्क शर र
का ववकास भी प्रभाववत होता है। कुछ अन्य जरूर खतनज कॉपर, आयरन, मैगनीज के साथ जब
जजंक की पयााप्त मात्रा शर र में पहुंचती हैतो हमारे शर र का रोग प्रततरोधक तंत्र मजबूत बनता
है। ये सभी तत्व सूखेमेवे में भी पाए जाते हैजैसे ककशलमश,खजूर,छुहारा आदद। 6. हर सजब्जयां-
- ब्रोकल , गोभी को शर र को जरूर पोषण प्रदान करने के ललए, हर सजब्जयों को भोजन में शालमल
करने की सलाह द जाती है। रोगों से लडने के ललहाज से भी ये फायदेमंद है। हर सजब्जयों में
अन्य पोषक तत्वों के अलावा मग्ैनेलशयम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो कक हमारे प्रततरोधक
तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने व रक्त का थक्का जमने की
समस्या सेदरू रखने में मददगार है। मांसपेलशयों में खीचा व की परेशानी सेदरू रखने व दांतो के
स्वास्थ के ललए भी भोजन में इनको तनयलमत रूप से शालमल करना चादहए। 7. अखरोट– यह
ववटालमन – ई का अच्छा स्रोत है| बढ़ती उम्र और ववषैले तत्वों के शर र पर प्रभाव को रोकने के
ललए हमारे शर र को इस ववटालमन की आवश्यकता होती है।रोजाना अखरोट की 50ग्राम मात्रा शर र
में इस ववटालमन की जरूरत को पूरा करनेके ललए पयााप्त है। 8. इलायची — इलायची सबसे अच्छी
पाचक औषधध मानी जाती है। यह पाचन किया को सुचारू करने के साथ ह शर र की अततररक्त
फै ट को जलाने का भी काया करती है। 8. लमचा – लमचा खाने के त्रबस लमनट बाद ह यह शर र से
कैलोर को जलाना शुरू कर देती है।इसललए इसे फैट कम करने का साधन भी माना गया है।लमचा
में पाया जाने वाला capsecin मेटाबॉललज्म अथाात उपापचय को बढ़ाने का काया करता है। 9. हल्द - हल्द में पाया जाने वाला तत्व curcumin ददल के ललए बहुत फायदेमंद है। इसके तनयलमत
इस्तेमाल से हाटा अटैक के खतरे को काफी हद तक कम ककया जा सकता है। साथ ह यह
कोलेस्रोल और उच्च रक्त चाप को तनयंत्रत्रत करता है और रुधधर पररसंचरण को बढ़ाकर रक्त का
थक्का बनने से भी रोकता है। 10. सरसो का तेल – तेल संस्कृतत के तैला शब्द सेबना हैजजसका
दहंद में अथा है स्नेह। इस तेल में ओमेगा – 3 और ओमेगा – 6 भार मात्रा में पाए जाते है जो
दांत और मशूडो को स्वास्थ रखता है। यह खाद्य तेल में लो फै ट ऑयल माना गया है। इसमें चार
प्रकार के अम्ल, एंट ऑजक्सडेंट व जरूर ववटालमन पाए जाते है | ये कोलेस्रोल को घटाते है। हृदय
के ललए भी उपयोगी है। इसके लगातार उपयोग करने से बाल भी नह ं झड़ते है । कच्ची घानी
तेल का बेहतर न स्वाद ददल की बीमाररयों से रछा करता है ,ददमाग को तेज रखता है और रक्त
वादहतनयों को बंद होने से बचाता है । इसमें संतप्ृत वसा की मात्रा बहुत ह कम होती है जजसकी
वजह से कोलेस्रोल लेवल सामान्य रहता है। इसके सेवन से शर र के अंदर पाए जाने वाले टॉजक्संस
बाहर तनकाल जाते है और पाचन किया भी बेहतर होती है । 11. बंदगोभी – यह ववटालमन सी का
बदढ़या स्रोत है। यह लो कैलोर फूड हैजो डायदटंग प्रोग्राम्स के ललए परफेक्ट है। कच्ची या पकी
ककसी भी प्रकार की पत्तागोभी शूगर व काबोहाइड्रेट्स को फैट में कनवटा होने से रोकती है। 12.
दालचीनी और लौंग – भारतीय खाने में इस्तेमाल होने वाल ये दोनों चीजें इन्सुललन फंक्शन को
सुधारनेके साथ ग्लूकोज की मात्रा को भी कम करती है। यह दोनों प्रकार की डायत्रबट ज के रोधगयों
के ललए लाभदायक है । दालचीनी एंदटसेजप्टक, एंट फं गल, और एंट वाइरल के गुण होने के कारण
आयुवेद में इसका सेवन उदर, स्वास, दांत त्वचा आदद रोगों को दरू करने के ललए ककया जाता है
। यह पाचक रसो के स्राव को भी उत्तजीत करती है । यह थकान,लसरददा, अथाराइदटस, मुहांसों,दांत
ददा में भी फायदेमंद है। 13 .जीरा – जीरे में लौह तत्व, मैंगनीज की प्रचरू मात्रा पाई जाती हैजो
अग्नसाई इंजाइम के स्राव में मदद करता है । यह पाचन में भी सहायक होता है । लौह,
दहमोग्लोत्रबन की कमी को परूा करने में सहायक होता है। डायत्रबट ज,कब्ज गले संबंधी बीमाररयों,
सदी आदद में बहुत लाभकार है । 14. काल लमचा – काल लमचा कीटाणुओं को मारता है, मशुडो के
सूजन को समाप्त करता है । 15. प्याज – प्याज की तासीर गमा होती है । इसमें kalicin और
ववटालमन सी पयााप्त मात्रा में होता है।इसललए यह सेहत की दृजटट से भी उपयोगी है । इसे आप
कच्चा खाए या सजब्जयों के साथ पकाकर, हर हाल में यह लाभ ह देता है । यह लसर ददा, बवासीर
में बहुत लाभकार है । 16. पालक – पालक का साग तो आपने जरूर खाया होगा लेककन पालक
से जुड़ी कुछ बातो पर शायद ह आपने ध्यान ददया हो । ऎसा माना जाता है कक पालक सबसे
पहले पजश्चम – दक्षिण एलशया में उगाया गया था । उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में इसका व्यापार
शुरू हुआ । अफ्रीका के बाद 12वी सतब्द में इंग्लडैं में पालक की खेती शुरू हुई थी ,ये तो बात
इततहास की हुई पर बात जब सेहत की हो तो इसका भी कोई सानी नह ं, सजब्जयों व साग में
लौह, खतनज तत्व अधधक मात्रा में पाया जाता है, ककन्तुपालक में प्रकृतत ने शर र को शजक्त और
स्फूतता प्रदान करनेके ललए कुछ ववशेष प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश ककया है। अगर पालक
को उबालकर कच्चा प्रयोग में लाते हैतो ये कै गुना ज्यादा आपके स्वास्थ को लाभ देता है। मोटे
अनाजों में पल्प अथाता गुदा अधधक होता हैइसके सवे न सेकब्ज की समस्या नह ं रहती है। यह
पचने में आसान होता है जजससे आपका हाजमा भी दरुुस्त रहता है । यह शर र में फै ट को बड़ने
नह ं देता । बेशक सददायों में लोग मोटे अनाज को प्राथलमकता देते हैपर आप तासीर के अनुसार
इसका सेवन गलमायों में कर सकती है । जैसे मक्के की तासीर िंडी होती है जबकक बाजार गमा
तासीर का होता है । इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है । अतः हम सभी को मसालों
सुपरफूड्स को ध्यान में रखते हुए इनका सेवन करना चादहए ।
लेखक – बृजेश कुमार पटेल
Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher
Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com