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Learn Beautiful Punjabi Language – Lesson 1

Sure! Punjabi is a beautiful language spoken primarily in the Punjab region of India and Pakistan. Here are some basic Punjabi phrases to get you started:

1. Hello – ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ (Sat Sri Akaal)

2. How are you? – ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਹੋ? (Tusi kivein ho?)

3. Good morning – ਸ਼ੁਭ ਸਵੇਰ (Shubh Savere)

4. Thank you – ਧੰਨਵਾਦ (Dhanvaad)

5. Yes – ਹਾਂ (Haan)

6. No – ਨਹੀਂ (Nahi)

7. Excuse me – ਮੁਆਫ ਕਰੋ (Muaaf karo)

8. I don’t understand – ਮੈਂ ਨਹੀਂ ਸਮਝਾ (Main nahi samjha)

9. Goodbye – ਅਲਵਿਦਾ (Alvida)

Hope this will help you to start learn basics of some phrases starting Punjabi and interacting with Punjabi Friends!

See you in the next lesson!

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What to do when NEXTJS gives error Request is not defined

Hello,

Here is the simple solution when u get error while running nextjs on localhost or through CLI.

You will be pointing to the old node version or new which is not compatible with the current version of Nextjs you might be using.

So switching the node version to the supporting NextJS will fix the run time issue on localhost.

Thanks for learning.

Happy Learning

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Finding the ending number: What is 60% of 25?

Formula: Multiply the percentage by the total value

.60 x 25 = 15

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बनाए स्वास्थ, सुपर फुड्स व मोटे अनाजों, मसालों के साथ

यूतो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैंपर अगर हम सभी खाने पीने पर ववशेष ध्यान दे तो बहुत
स्वस्थ रहे! मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदद अनाज 30 ग्राम प्रतत ददन की सेवन से छाती के
कैं सर का खतरा लगभग 52% कम हो जाता है यदद मदहलाएं मोनोपाज अथाात रजो धमा से पहले
मोटे अनाज का सेवन करे। 1. साबूत अनाज – जैसे गेहू सबसे घातक खाद है और यह पेट के
ललए भी अच्छा नह ं है! यह कथन प्रलसद्ध हृदय रोग ववशेषग्य ववललयम डेववस एम. डी. का है ।
2.अलसी _अलसी में 35–40% तेल होता है इसमें 50–60% ओमेगा –3 फे ट एलसड होता है साथ
में 28% रेशे पाए जाते है अलसी हृदय रोग कैं सर, कमर, सूजन आदद ववकारों में व गदिया में
ओमेगा– 3 के पाए जाने के कारण बहुत लाभ दायक है ।
3.जौ–जौ मै 70% काबोहाइड्रेट, 12.5% प्रोट न, रेशे और खतनज पाया जाता है । यह हृदय रोग के
ख़तरे को कम करता है इसमें मुख्य रूप से ववटा –ग्लूकन है जो कक जौ में सबसे जादा पाया
जाता है लगभग 3–11%, जौ की सेवन से रक्त में काबोहाइड्रेट के कारण बड़ने वाल शका रा कक
मात्रा सह अनपु ात में बनी रहती हैव रक्त चाप, ददल की बीमार भी तनयतररत रहती है व कैं सर
के ख़तरे को कम करता है
4.गेहूं – गेहूं का चोकर स्तन व पटे के ख़तरे को कम करता है|
5.बाजरा (पला लमलेट)–इसमें 67% काबोहाइड्रेट, 11.6% प्रोदटन 5% वसा 2.7% खतनज और
12.4%नमी (जल) पायी जाती है यह स्वस्थ शर र को मजबूत बनाता है व पेट को साफ रखता
है। लमलेट मधुमेह को तनयंत्रत्रत करते है।इनसे प्राप्त फाइबर सुगर के अवशोषण को धीमा करता
है।यह हृदय रोग ,मोटापा को कम करता है और यह पेट भरने का एहसास कराता है जजससे हमें
कम भोजन ग्रहण करना पड़ता है।यह बड़ी आंत के कैं सर पर तनयंत्रण रखता है और उच्च रक्तचाप
के तनयंत्रण में लाभदायक है। इनमें पाए जाने वाले एंट ऑजक्सडेंट्स जो इनमें पादप रसायन
(phytochemicals) के रूप में पाए जाते है जो बैड कोलेस्रोल को कम करते है और ये पादप
रसायन हमें फ्री रेडडकल्स से हमारे शर र की कोलशकाओं को बचाते है तथा बढ़ती उम्र को रोकते
है अथाात ये एंट एजजंग होते है। 6. साबुत अनाज दललया गेहूं के अलावा दललया का सेवन भी
आपके ललए फायदेमंद रहता है। नाश्ते में दललया खाने से एक तो लंबे समय तक आपका पेट भरा
रहता है । साथ ह आपका वजन भी बैलैंस रहता है ।व जन एकसमान होने के कारण ब्लड शुगर
या कफर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमाररयों के लशकार नह ं होते । ओटस- साबुत अनाज के तौर पर
हम ओट्स भी खा सकते है। यह ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलस्े रोल लेवल,ब्लड शुगर के
अलावा बॉडी के कोलेस्रॉल लेवल, ब्लड शुगर लेवल और वजन को भी कंरोल रखनेमें मदद करता
है। साबुत अनाज काबोहाईड्रेट का अच्छा स्रोत होने के साथ ह इनमें जजंक जैसा पोषक तत्व भी
प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। शर र में जजंक की थोड़ी सी कमी स्वास्थ पर प्रततकूल प्रभाव डाल
सकती है।जजंक की कमी से न लसफा रोगों से लडने की हमार सकती कमजोर पड़ती है बजल्क शर र
का ववकास भी प्रभाववत होता है। कुछ अन्य जरूर खतनज कॉपर, आयरन, मैगनीज के साथ जब
जजंक की पयााप्त मात्रा शर र में पहुंचती हैतो हमारे शर र का रोग प्रततरोधक तंत्र मजबूत बनता
है। ये सभी तत्व सूखेमेवे में भी पाए जाते हैजैसे ककशलमश,खजूर,छुहारा आदद। 6. हर सजब्जयां-

  • ब्रोकल , गोभी को शर र को जरूर पोषण प्रदान करने के ललए, हर सजब्जयों को भोजन में शालमल
    करने की सलाह द जाती है। रोगों से लडने के ललहाज से भी ये फायदेमंद है। हर सजब्जयों में
    अन्य पोषक तत्वों के अलावा मग्ैनेलशयम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो कक हमारे प्रततरोधक
    तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने व रक्त का थक्का जमने की
    समस्या सेदरू रखने में मददगार है। मांसपेलशयों में खीचा व की परेशानी सेदरू रखने व दांतो के
    स्वास्थ के ललए भी भोजन में इनको तनयलमत रूप से शालमल करना चादहए। 7. अखरोट– यह
    ववटालमन – ई का अच्छा स्रोत है| बढ़ती उम्र और ववषैले तत्वों के शर र पर प्रभाव को रोकने के
    ललए हमारे शर र को इस ववटालमन की आवश्यकता होती है।रोजाना अखरोट की 50ग्राम मात्रा शर र
    में इस ववटालमन की जरूरत को पूरा करनेके ललए पयााप्त है। 8. इलायची — इलायची सबसे अच्छी
    पाचक औषधध मानी जाती है। यह पाचन किया को सुचारू करने के साथ ह शर र की अततररक्त
    फै ट को जलाने का भी काया करती है। 8. लमचा – लमचा खाने के त्रबस लमनट बाद ह यह शर र से
    कैलोर को जलाना शुरू कर देती है।इसललए इसे फैट कम करने का साधन भी माना गया है।लमचा
    में पाया जाने वाला capsecin मेटाबॉललज्म अथाात उपापचय को बढ़ाने का काया करता है। 9. हल्द
  • हल्द में पाया जाने वाला तत्व curcumin ददल के ललए बहुत फायदेमंद है। इसके तनयलमत
    इस्तेमाल से हाटा अटैक के खतरे को काफी हद तक कम ककया जा सकता है। साथ ह यह
    कोलेस्रोल और उच्च रक्त चाप को तनयंत्रत्रत करता है और रुधधर पररसंचरण को बढ़ाकर रक्त का
    थक्का बनने से भी रोकता है। 10. सरसो का तेल – तेल संस्कृतत के तैला शब्द सेबना हैजजसका
    दहंद में अथा है स्नेह। इस तेल में ओमेगा – 3 और ओमेगा – 6 भार मात्रा में पाए जाते है जो
    दांत और मशूडो को स्वास्थ रखता है। यह खाद्य तेल में लो फै ट ऑयल माना गया है। इसमें चार
    प्रकार के अम्ल, एंट ऑजक्सडेंट व जरूर ववटालमन पाए जाते है | ये कोलेस्रोल को घटाते है। हृदय
    के ललए भी उपयोगी है। इसके लगातार उपयोग करने से बाल भी नह ं झड़ते है । कच्ची घानी
    तेल का बेहतर न स्वाद ददल की बीमाररयों से रछा करता है ,ददमाग को तेज रखता है और रक्त
    वादहतनयों को बंद होने से बचाता है । इसमें संतप्ृत वसा की मात्रा बहुत ह कम होती है जजसकी
    वजह से कोलेस्रोल लेवल सामान्य रहता है। इसके सेवन से शर र के अंदर पाए जाने वाले टॉजक्संस
    बाहर तनकाल जाते है और पाचन किया भी बेहतर होती है । 11. बंदगोभी – यह ववटालमन सी का
    बदढ़या स्रोत है। यह लो कैलोर फूड हैजो डायदटंग प्रोग्राम्स के ललए परफेक्ट है। कच्ची या पकी
    ककसी भी प्रकार की पत्तागोभी शूगर व काबोहाइड्रेट्स को फैट में कनवटा होने से रोकती है। 12.
    दालचीनी और लौंग – भारतीय खाने में इस्तेमाल होने वाल ये दोनों चीजें इन्सुललन फंक्शन को
    सुधारनेके साथ ग्लूकोज की मात्रा को भी कम करती है। यह दोनों प्रकार की डायत्रबट ज के रोधगयों
    के ललए लाभदायक है । दालचीनी एंदटसेजप्टक, एंट फं गल, और एंट वाइरल के गुण होने के कारण
    आयुवेद में इसका सेवन उदर, स्वास, दांत त्वचा आदद रोगों को दरू करने के ललए ककया जाता है
    । यह पाचक रसो के स्राव को भी उत्तजीत करती है । यह थकान,लसरददा, अथाराइदटस, मुहांसों,दांत
    ददा में भी फायदेमंद है। 13 .जीरा – जीरे में लौह तत्व, मैंगनीज की प्रचरू मात्रा पाई जाती हैजो
    अग्नसाई इंजाइम के स्राव में मदद करता है । यह पाचन में भी सहायक होता है । लौह,
    दहमोग्लोत्रबन की कमी को परूा करने में सहायक होता है। डायत्रबट ज,कब्ज गले संबंधी बीमाररयों,
    सदी आदद में बहुत लाभकार है । 14. काल लमचा – काल लमचा कीटाणुओं को मारता है, मशुडो के
    सूजन को समाप्त करता है । 15. प्याज – प्याज की तासीर गमा होती है । इसमें kalicin और
    ववटालमन सी पयााप्त मात्रा में होता है।इसललए यह सेहत की दृजटट से भी उपयोगी है । इसे आप
    कच्चा खाए या सजब्जयों के साथ पकाकर, हर हाल में यह लाभ ह देता है । यह लसर ददा, बवासीर
    में बहुत लाभकार है । 16. पालक – पालक का साग तो आपने जरूर खाया होगा लेककन पालक
    से जुड़ी कुछ बातो पर शायद ह आपने ध्यान ददया हो । ऎसा माना जाता है कक पालक सबसे
    पहले पजश्चम – दक्षिण एलशया में उगाया गया था । उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में इसका व्यापार
    शुरू हुआ । अफ्रीका के बाद 12वी सतब्द में इंग्लडैं में पालक की खेती शुरू हुई थी ,ये तो बात
    इततहास की हुई पर बात जब सेहत की हो तो इसका भी कोई सानी नह ं, सजब्जयों व साग में
    लौह, खतनज तत्व अधधक मात्रा में पाया जाता है, ककन्तुपालक में प्रकृतत ने शर र को शजक्त और
    स्फूतता प्रदान करनेके ललए कुछ ववशेष प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश ककया है। अगर पालक
    को उबालकर कच्चा प्रयोग में लाते हैतो ये कै गुना ज्यादा आपके स्वास्थ को लाभ देता है। मोटे
    अनाजों में पल्प अथाता गुदा अधधक होता हैइसके सवे न सेकब्ज की समस्या नह ं रहती है। यह
    पचने में आसान होता है जजससे आपका हाजमा भी दरुुस्त रहता है । यह शर र में फै ट को बड़ने
    नह ं देता । बेशक सददायों में लोग मोटे अनाज को प्राथलमकता देते हैपर आप तासीर के अनुसार
    इसका सेवन गलमायों में कर सकती है । जैसे मक्के की तासीर िंडी होती है जबकक बाजार गमा
    तासीर का होता है । इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है । अतः हम सभी को मसालों
    सुपरफूड्स को ध्यान में रखते हुए इनका सेवन करना चादहए ।

लेखक – बृजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com

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मोटे अनाज है सेहत का खजाना – 2023 मोटे अनाजो का वर्ष

मोटे अनाज

मोटे अनाज है सेहत का खजाना- अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 को हम मोटे अनाजो के वर्ष के रूप मना रहे है।यू तो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते है पर अगर हम सभी खाने – पीने पर विशेष ध्यान दे तो एकदम स्वस्थ रहे। यदि महिलाएं मोनोपॉज अर्थात रजो धर्म से पहले मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदि अनाज 30ग्राम प्रति दिन के हिसाब से सेवन करे तो छाती के कैंसर का खतरा लगभग52०/० कम हो जाता है।रोजाना अपने डाइट में 20 से30 फीसदी मोटे अनाजों का सेवन करने पर बीमारियों का खतरा बेहद ही कम हो जाता है।इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनती है और शारीरिक – मानसिक मजबूती भी मिलती है।वैसे तो दुनिया में मिलेत की 13 वरियटी मौजूद है,लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष2023 के लिए 8 अनाजों –

मोटे अनाज

बाजरा,रागी,कुटकी,सेवा,ज्वार,कंगनी,चेना और कोदो को शामिल किया गया है।

यदि हम बात करे मोटे अनाजों के पौष्टिक महत्व की तो कई रोगों से छुटकारा पाने में ये मोटे अनाज महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। ह्रदय रोग ,कैंसर गठिया रोग ,सूजन का खतरा कम करते है और शरीर की प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाते है। इसमें प्रोटीन,वसा,लौह,रेशा,कैल्शियम और जिंक की भी भरपूर मात्रा होती है। मोटे अनाजों में रेशा की मात्रा काफी अधिक होती है लेकिन सामान्य खाने से यह नहीं मिल पाता है।इसलिए मोटे अनाजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।कोदो,बाजरा,हरी कंगनी और बर्री में सबसे ज्यादा रेशा होता है। बिषेसेज्ञ यह नहीं कहते कि चावल,गेहूं या मक्का को भोजन में ही न शामिल करे बल्कि मोटे अनाजों को भी शामिल करे क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का प्रमुख उद्देश्य खाने में विविधता पैदा करना है ताकि शरीर स्वस्थ रहे, जब सभी लोग इनका सेवन करेगे तो देश में इसका उत्पादन बढ़ेगा और किसान कम खर्च में इसे पैदा करने के लिए प्रेरित होंगे और इससे उनकी आय के खर्च में भी इजाफा होगा। चावल और गेहूं के मुकाबले बाजरा,रागी,ज्वार ,कुटकी,कोदो, कागनी चेना सवा,हरी कागानी में प्रचूर मात्रा में लौह तत्व पाए जाते है।मोटे अनाजों बाजरा,रागी,कुटकी ,बर्री,शमक में जिंक भरपूर मात्रा में होता है । आइए जनता है मोटे अनाजों के बारे में – रागी(finger millet)- रागी में प्रोटीन7.2ग्राम,वसा 1.92ग्राम ,लौह 4.6 एमजी,रेशा 11.18एमजी,कैल्शियम 364एमजी,जिंक 2.50एमजी। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है जो कि हृदय रोग एथरोस्क्लेरोसी स को बढ़ावा देता है। रागी को देशी भाषा में नचनी भी कहते है।इस अनाज का रंग लाल भुरा और स्वाद अखरोट जैसा होता है।रागी के नियमित सेवन से मधुमेह और रक्तचाप जैसी बीमारियों को नियंत्रित कर सकते है। यह विटामिन बी से भरपूर होता है। कंगनी (foxtail millet) – कंगनी में प्रोटीन12.3ग्राम ,वसा 4.3ग्राम, लौह 2.8एमजी,रेशा 4.25एमजी,कैल्शियम31एमजी,जिंक2.40एमजी होता है। कंगनी को एसियाई देशों में उगाया जाता है। इस मिल्लेट का दाना पीला होता है जिसे दलिया से लेकर पुलाव जैसे कई व्यंजन बनने में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद अखरोट जैसा होता है। यह आयरन पोटैसियम और मैग्नेशियम से भरपूर होता है। चेना (proso millet ) – चेना एक ऐसा अनाज है जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है।भारत के साथ साथ यूरोप ,चीन और अमेरिका में इससे सूप,दलिया और नूडल बनाए जाते है। ये मिल्लेत फैट और कोलेस्ट्रोल फ्री होता है साथ ही चेना प्रोटीन ,रेशा,विटामिन बी,आयरन और जिंक समेत कई विटामिन और खनिजों का मुख्य स्रोत है। कोदो – कोदो एक पारंपरिक अनाज है। इसे केद्रव भी कहते है।कोदो में प्रोटीन8.3ग्राम,वसा 1.4ग्राम,लौह.5एमजी,रेशा 9.०एमजी,कैल्शियम27एमजी,,जिंक1.65एमजी होता है। इसमें कैंसर,पेट और मधुमेह के रोग दूर करने कि शक्ति होती है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते है।इसकी फसल धान की तरह होती है। सावा – सावा को देश के अलग- अलग भागो में उड़ालू या झंगोरा के नाम से जाना जाता है सावा का इतिहास भी बाकी मोटे अनाजों की तरह हजारों साल पुराना है इसका मौजूद रेशा ,प्रोटीन ,आयरन,कैल्शियम और विटामिन बी आदि शरीर को खास ऊर्जा देते है। इसके नियमित सेवन से सूजन,हृदय रोग और डायबिटीज का खतरा भी कम होता है।किसान भी सावा उगाना बेहद पसंद करते है क्युकी इसमें कीट या बीमारियां लगने का खतरा नहीं रहता है। ज्वार(sorghum)- ज्वार में प्रोटीन10.4ग्राम,वसा3.1ग्राम,लौह5.4एमजी,रेशा 2.98एमजी, कैल्शियम23एमजी,जिंक3.00एमजी होता है।ज्वार कैंसर ,डायबिटीज के खतरे को कम करता है और इसमें मैग्नेशियम पर्याप्त मात्रा में होता है जो कि कैल्शियम के अवशोषण को बढ़िया बनाता है और हड्डी को मजबूत बनाता है।यह रक्त दाब, बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है ।यह एल्कलाइन होता है और अमलता को कम करता है। इसमें फोलिक अमला पाया जाता है जो कि नया कोसिकावो का निर्माण करता है और d.n.a के परिवर्तन को रोकता है जो कि कैंसर का कारण बनता है। यह आंखो के लिए बढ़िया होता है जोकि हमारे शरीर में एक इंजाइम की क्रियाविधि को बढ़ावा देता है जोकि विटामिन ए का निर्माण करता है और विटामिन ए रतौंधी के उपचार में उपयोगी है। खांसी जुकाम होने पर ज्वार के दानों को गुड़ में मिलाकर खाया जाता है।ज्वार के आंटे से बना काजल आंखो को ठंडक देता है। कुटकी(little millet) – कुटकी के ज्यादातर गुड़ चेना से मिलते है। कुटकी में प्रोटीन7.7ग्राम,वसा4.7ग्राम,लौह9.3एमजी,रेशा7.6एमजी,कैल्शियम17एमजी,जिंक1.82एमजी होता है।इसकी खेती करना किसानों के लिए जितना आसान है ,इसके सेवन से भी उतने फायदे होते है।कुटकी की फसल 65से75 दिनों में पक जाती है।कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर सुगर को नियंत्रित करने में असरदार माना जाता है। बाजरा (pearl millet)- बाजरा सबसे ज्यादा उगाए और खाए जाने वाला मोटा अनाज है,जिसकी सबसे ज्यादा खेती भारत और अफ्रीका में की जाती है।बाजरा को कई इलाकों में बजरी और कंबू के नाम से भी जानते है। बाजरा को हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।कम सिंचाई वाले इलाकों के लिए बाजरा की फसल वरदान है।इसमें प्रोटीन 11.6ग्राम,वसा 2.7से7.1०ग्राम,लौह7.1एमजी,रेशा 2.6से4…0एमजी,कैल्शियम4.5एमजी,जिंक2.76एमजी होता है। यह बाइल एसिड के स्राव को कम करता है जो कि gallstones शरीर में बनाता है। इसमें थियामिन,रीबिफ्लावी न और नियासिन भी होता है। यह मोटापा कम करता है। इससे मोटे दानों को अलग करने के बाद पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ।इतना ही नहीं बाजरे के फसल अवावशेशो से जैव ईंधन भी बनाया जाता है। प्रोटीन, फाइबर ,अमीनो अम्ल समेत कई पोषक तत्वों से भरपूर millet se ब्रेड,कोक्कीज समेत कई व्यंजन बनाए जाते है। मोटे अनाजों में पल्प अर्थात गुदा अधिक होता है।इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती है। यह पचने में आसान होता है जिससे आपका हाजमा भी दुरुस्त रहता है।यह शरीर में फैट को बढ़नेनहीं देता।बेशक सर्दियों में लोग मोटे अनाज को प्राथमिकता देते है पर आप तासीर के अनुसार इसका सेवन गर्मियों में कर सकती है।जैसे बाजरा गर्म तासीर का होता है और इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है। जबकि मक्के की तासीर ठंडी होती है।आइए मोटे अनाजों का प्रयोग पुनः अपने भोजन में शामिल करे और अपने आपको स्वस्थ रखे।

लेखक – बृजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com

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बनाए स्वास्थ, सुपर फुड्स व मोटे अनाजों, मसालों के साथ

देआलेख – बनाए बनाए स्वास्थ, सुपर फुड्स व मोटे अनाजों, मसालों के साथ, सुपर फुड्स व मोटे अनाजों, मसालों के साथयू तो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं पर अगर हम सभी खाने पीने पर विशेष ध्यान दे तो बहुत स्वस्थ रहे! मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदि अनाज 30 ग्राम प्रति दिन की सेवन से छाती के कैंसर का खतरा लगभग 52% कम हो जाता है यदि महिलाएं मोनोपाज अर्थात रजो धर्म से पहले मोटे अनाज का सेवन करे। 1. साबूत अनाज – जैसे गेहू सबसे घातक खाद है और यह पेट के लिए भी अच्छा नहीं है! यह कथन प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषग्य विलियम डेविस एम. डी. का है ।
2.अलसी
अलसी में 35–40% तेल होता है इसमें 50–60% ओमेगा –3 फेटी एसिड होता है साथ में 28% रेशे पाए जाते है अलसी हृदय रोग कैंसर ,कमर ,सूजन आदि विकारों में व गठिया में ओमेगा– 3 के पाए जाने के कारण बहुत लाभ दायक है ।
3.जौ–जौ मै 70% कार्बोहाइड्रेट ,12.5% प्रोटीन ,रेशे और खनिज पाया जाता है । यह हृदय रोग के ख़तरे को कम करता है इसमें मुख्य रूप से विटा –ग्लूकन है जो कि जौ में सबसे जादा पाया जाता है लगभग 3–11%,जौ की सेवन से रक्त में कार्बोहाइड्रेट के कारण बड़ने वाली शर्करा कि मात्रा सही अनुपात में बनी रहती है व रक्त चाप ,दिल की बीमारी भी नियतरित रहती है व कैंसर के ख़तरे को कम करता है
4.गेहूं – गेहूं का चोकर स्तन व पेट के ख़तरे को कम करता है
5.बाजरा(पर्ल मिलेट)–इसमें 67% कार्बोहाइड्रेट ,11.6% प्रोटिन 5% वसा 2.7%खनिज और 12.4%नमी(जल) पायी जाती है यह स्वस्थ शरीर को मजबूत बनाता है व पेट को साफ रखता है। मिलेट मधुमेह को नियंत्रित करते है।इनसे प्राप्त फाइबर सुगर के अवशोषण को धीमा करता है।यह हृदय रोग ,मोटापा को कम करता है और यह पेट भरने का एहसास कराता है जिससे हमें कम भोजन ग्रहण करना पड़ता है।यह बड़ी आंत के कैंसर पर नियंत्रण रखता है और उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में लाभदायक है।इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स जो इनमें पादप रसायन (phytochemicals) के रूप में पाए जाते है जो बैड कोलेस्ट्रोल को कम करते है और ये पादप रसायन हमें फ्री रेडिकल्स से हमारे शरीर की कोशिकाओं को बचाते है तथा बढ़ती उम्र को रोकते है अर्थात ये एंटीएजिंग होते है। 6. साबुत अनाज दलिया गेहूं के अलावा दलिया का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद रहता है। नाश्ते में दलिया खाने से एक तो लंबे समय तक आपका पेट भरा रहता है ।साथ ही आपका वजन भी बैलैंस रहता है ।वजन एकसमान होने के कारण ब्लड शुगर या फिर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के शिकार नहीं होते । ओटस_ साबुत अनाज के तौर पर हम ओट्स भी खा सकते है।यह ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलेस्ट्रोल लेवल,ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल,ब्लड शुगर लेवल और वजन को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है। साबुत अनाज कार्बोहाईड्रेट का अच्छा स्रोत होने के साथ ही इनमें जिंक जैसा पोषक तत्व भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। शरीर में जिंक की थोड़ी सी कमी स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।जिंक की कमी से न सिर्फ रोगों से लडने की हमारी सकती कमजोर पड़ती है बल्कि शरीर का विकास भी प्रभावित होता है।कुछ अन्य जरूरी खनिज कॉपर, आयरन, म मैगनीज के साथ जब जिंक की पर्याप्त मात्रा शरीर में पहुंचती है तो हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बनता है।ये सभी तत्व सूखे मेवे में भी पाए जाते है जैसे किशमिश,खजूर,छुहारा आदि। 6.हरी सब्जियांब्रोकली,गोभी को शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करने के लिए,हरी सब्जियों को भोजन में शामिल करने की सलाह दी जाती है।रोगों से लडने के लिहाज से भी ये फायदेमंद है।हरी सब्जियों में अन्य पोषक तत्वों के अलावा मैग्नेशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो कि हमारे प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने व रक्त का थक्का जमने की समस्या से दूर रखने में मददगार है। मांसपेशियों में खीचा व की परेशानी से दूर रखने व दांतो के स्वास्थ के लिए भी भोजन में इनको नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। 7.अखरोट_ यह विटामिन – ई का अच्छा स्रोत है,बढ़ती उम्र और विषैले तत्वों के शरीर पर प्रभाव को रोकने के लिए हमारे शरीर को इस विटामिन की आवश्यकता होती है।रोजाना अखरोट की 50ग्राम मात्रा शरीर में इस विटामिन की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। 8.इलायची _ इलायची सबसे अच्छी पाचक औषधि मानी जाती है। यह पाचन क्रिया को सुचारू करने के साथ ही शरीर की अतिरिक्त फैट को जलाने का भी कार्य करती है। 8.मिर्च – मिर्च खाने के बिस मिनट बाद ही यह शरीर से कैलोरी को जलाना शुरू कर देती है।इसलिए इसे फैट कम करने का साधन भी माना गया है।मिर्च में पाया जाने वाला capsecin मेटाबॉलिज्म अर्थात उपापचय को बढ़ाने का कार्य करता है। 9.हल्दी – हल्दी में पाया जाने वाला तत्व curcumin दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके नियमित इस्तेमाल से हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।साथ ही यह कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करता है और रुधिर परिसंचरण को बढ़ाकर रक्त का थक्का बनने से भी रोकता है। 10.सरसो का तेल – तेल संस्कृति के तैला शब्द से बना है जिसका हिंदी में अर्थ है स्नेह।इस तेल में ओमेगा – 3 और ओमेगा – 6 भारी मात्रा में पाए जाते है जो दांत और मशूडो को स्वास्थ रखता है।यह खाद्य तेल में लो फैट ऑयल माना गया है।इसमें चार प्रकार के अम्ल, एंटीऑक्सिडेंट व जरूरी विटामिन पाए जाते है को कोलेस्ट्रोल को घटाते है।हृदय के लिए भी उपयोगी है। इसके लगातार उपयोग करने से बाल भी नहीं झड़ते है।कच्ची घानी तेल का बेहतरीन स्वाद दिल की बीमारियों से रछा करता है ,दिमाग को तेज रखता है और रक्त वाहिनियों को बंद होने से बचाता है ।इसमें संतृप्त वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रोल लेवल सामान्य रहता है। इसके सेवन से शरीर के अंदर पाए जाने वाले टॉक्सिंस बाहर निकाल जाते है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है। 11.बंदगोभी – यह विटामिन सी का बढ़िया स्रोत है। यह लो कैलोरी फूड है जो डायटिंग प्रोग्राम्स के लिए परफेक्ट है। कच्ची या पकी किसी भी प्रकार की पत्तागोभी शूगर व कार्बोहाइड्रेट्स को फैट में कनवर्ट होने से रोकती है। 12.दालचीनी और लौंग – भारतीय खाने में इस्तेमाल होने वाली ये दोनों चीजें इन्सुलिन फंक्शन को सुधारने के साथ ग्लूकोज की मात्रा को भी कम करती है।यह दोनों प्रकार की डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभदायक है। दालचीनी एंटिसेप्टिक, एंटीफंगल,और एंटीवाइरल के गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसका सेवन उदर, स्वास, दांत त्वचा आदि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह पाचक रसो के स्राव को भी उत्तजीत करती है। यह थकान ,सिरदर्द, अर्थराइटिस,मुहांसों,दांत दर्द में भी फायदेमंद है। 13.जीरा – जीरे में लौह तत्व,मैंगनीज की प्रचूर मात्रा पाई जाती है जो अग्नसाई इंजाइम के स्राव में मदद करता है। यह पाचन में भी सहायक होता है। लौह, हिमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में सहायक होता है।डायबिटीज ,कब्ज गले संबंधी बीमारियों,सर्दी आदि में बहुत लाभकारी है। 14.कालीमिर्च – कालीमिर्च कीटाणुओं को मारता है, मशुडो के सूजन को समाप्त करता है। 15.प्याज – प्याज की तासीर गर्म होती है।इसमें kalicin और विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है।इसलिए यह सेहत की दृष्टि से भी उपयोगी है।इसे आप कच्चा खाए या सब्जियों के साथ पकाकर ,हर हाल में यह लाभ ही देता है ।यह सिर दर्द,बवासीर में बहुत लाभकारी है। 16.पालक – पालक का साग तो आपने जरूर खाया होगा लेकिन पालक से जुड़ी कुछ बातो पर शायद ही आपने ध्यान दिया हो ।ऎसा माना जाता है कि पालक सबसे पहले पश्चिम – दक्षिण एशिया में उगाया गया था ।उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में इसका व्यापार शुरू हुआ।अफ्रीका के बाद 12वी सतब्दी में इंग्लैंड में पालक की खेती शुरू हुई थी ,ये तो बात इतिहास की हुई पर बात जब सेहत की हो तो इसका भी कोई सानी नहीं ,सब्जियों व साग में लौह, खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है ,किन्तु पालक में प्रकृति ने शरीर को शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश किया है।अगर पालक को उबालकर कच्चा प्रयोग में लाते है तो ये कै गुना ज्यादा आपके स्वास्थ को लाभ देता है। मोटे अनाजों में पल्प अर्थात गुदा अधिक होता है इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती है।यह पचने में आसान होता है जिससे आपका हाजमा भी दुरुस्त रहता है।यह शरीर में फैट को बड़ने नहीं देता। बेशक सर्दियों में लोग मोटे अनाज को प्राथमिकता देते है पर आप तासीर के अनुसार इसका सेवन गर्मियों में कर सकती है ।जैसे मक्के की तासीर ठंडी होती है जबकि बाजार गर्म तासीर का होता है।इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है। अतः हम सभी को मसालों सुपरफूड्स को ध्यान में रखते हुए इनका सेवन करना चाहिए। लेखक – बृजेश कुमार पटेल ग्राम। Sirauli ,पोस्ट kumbhapur तहसील।आलेख – बनाए स्वास्थ, सुपर फुड्स व मोटे अनाजों, मसालों के साथयू तो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं पर अगर हम सभी खाने पीने पर विशेष ध्यान दे तो बहुत स्वस्थ रहे! मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदि अनाज 30 ग्राम प्रति दिन की सेवन से छाती के कैंसर का खतरा लगभग 52% कम हो जाता है यदि महिलाएं मोनोपाज अर्थात रजो धर्म से पहले मोटे अनाज का सेवन करे। 1. साबूत अनाज – जैसे गेहू सबसे घातक खाद है और यह पेट के लिए भी अच्छा नहीं है! यह कथन प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषग्य विलियम डेविस एम. डी. का है ।
2.अलसी
अलसी में 35–40% तेल होता है इसमें 50–60% ओमेगा –3 फेटी एसिड होता है साथ में 28% रेशे पाए जाते है अलसी हृदय रोग कैंसर ,कमर ,सूजन आदि विकारों में व गठिया में ओमेगा– 3 के पाए जाने के कारण बहुत लाभ दायक है ।
3.जौ–जौ मै 70% कार्बोहाइड्रेट ,12.5% प्रोटीन ,रेशे और खनिज पाया जाता है । यह हृदय रोग के ख़तरे को कम करता है इसमें मुख्य रूप से विटा –ग्लूकन है जो कि जौ में सबसे जादा पाया जाता है लगभग 3–11%,जौ की सेवन से रक्त में कार्बोहाइड्रेट के कारण बड़ने वाली शर्करा कि मात्रा सही अनुपात में बनी रहती है व रक्त चाप ,दिल की बीमारी भी नियतरित रहती है व कैंसर के ख़तरे को कम करता है
4.गेहूं – गेहूं का चोकर स्तन व पेट के ख़तरे को कम करता है
5.बाजरा(पर्ल मिलेट)–इसमें 67% कार्बोहाइड्रेट ,11.6% प्रोटिन 5% वसा 2.7%खनिज और 12.4%नमी(जल) पायी जाती है यह स्वस्थ शरीर को मजबूत बनाता है व पेट को साफ रखता है। मिलेट मधुमेह को नियंत्रित करते है।इनसे प्राप्त फाइबर सुगर के अवशोषण को धीमा करता है।यह हृदय रोग ,मोटापा को कम करता है और यह पेट भरने का एहसास कराता है जिससे हमें कम भोजन ग्रहण करना पड़ता है।यह बड़ी आंत के कैंसर पर नियंत्रण रखता है और उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में लाभदायक है।इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स जो इनमें पादप रसायन (phytochemicals) के रूप में पाए जाते है जो बैड कोलेस्ट्रोल को कम करते है और ये पादप रसायन हमें फ्री रेडिकल्स से हमारे शरीर की कोशिकाओं को बचाते है तथा बढ़ती उम्र को रोकते है अर्थात ये एंटीएजिंग होते है। 6. साबुत अनाज
दलिया_ गेहूं के अलावा दलिया का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद रहता है। नाश्ते में दलिया खाने से एक तो लंबे समय तक आपका पेट भरा रहता है ।साथ ही आपका वजन भी बैलैंस रहता है ।वजन एकसमान होने के कारण ब्लड शुगर या फिर हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के शिकार नहीं होते । ओटस साबुत अनाज के तौर पर हम ओट्स भी खा सकते है।यह ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलेस्ट्रोल लेवल,ब्लड शुगर के अलावा बॉडी के कोलेस्ट्रॉल लेवल,ब्लड शुगर लेवल और वजन को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है। साबुत अनाज कार्बोहाईड्रेट का अच्छा स्रोत होने के साथ ही इनमें जिंक जैसा पोषक तत्व भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। शरीर में जिंक की थोड़ी सी कमी स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।जिंक की कमी से न सिर्फ रोगों से लडने की हमारी सकती कमजोर पड़ती है बल्कि शरीर का विकास भी प्रभावित होता है।कुछ अन्य जरूरी खनिज कॉपर, आयरन, म मैगनीज के साथ जब जिंक की पर्याप्त मात्रा शरीर में पहुंचती है तो हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बनता है।ये सभी तत्व सूखे मेवे में भी पाए जाते है जैसे किशमिश,खजूर,छुहारा आदि। 6.हरी सब्जियां_ब्रोकली,गोभी को शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करने के लिए,हरी सब्जियों को भोजन में शामिल करने की सलाह दी जाती है।रोगों से लडने के लिहाज से भी ये फायदेमंद है।हरी सब्जियों में अन्य पोषक तत्वों के अलावा मैग्नेशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो कि हमारे प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने व रक्त का थक्का जमने की समस्या से दूर रखने में मददगार है। मांसपेशियों में खीचा व की परेशानी से दूर रखने व दांतो के स्वास्थ के लिए भी भोजन में इनको नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। 7.अखरोट यह विटामिन – ई का अच्छा स्रोत है,बढ़ती उम्र और विषैले तत्वों के शरीर पर प्रभाव को रोकने के लिए हमारे शरीर को इस विटामिन की आवश्यकता होती है।रोजाना अखरोट की 50ग्राम मात्रा शरीर में इस विटामिन की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। 8.इलायची _ इलायची सबसे अच्छी पाचक औषधि मानी जाती है। यह पाचन क्रिया को सुचारू करने के साथ ही शरीर की अतिरिक्त फैट को जलाने का भी कार्य करती है। 8.मिर्च – मिर्च खाने के बिस मिनट बाद ही यह शरीर से कैलोरी को जलाना शुरू कर देती है।इसलिए इसे फैट कम करने का साधन भी माना गया है।मिर्च में पाया जाने वाला capsecin मेटाबॉलिज्म अर्थात उपापचय को बढ़ाने का कार्य करता है। 9.हल्दी – हल्दी में पाया जाने वाला तत्व curcumin दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके नियमित इस्तेमाल से हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।साथ ही यह कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करता है और रुधिर परिसंचरण को बढ़ाकर रक्त का थक्का बनने से भी रोकता है। 10.सरसो का तेल – तेल संस्कृति के तैला शब्द से बना है जिसका हिंदी में अर्थ है स्नेह।इस तेल में ओमेगा – 3 और ओमेगा – 6 भारी मात्रा में पाए जाते है जो दांत और मशूडो को स्वास्थ रखता है।यह खाद्य तेल में लो फैट ऑयल माना गया है।इसमें चार प्रकार के अम्ल, एंटीऑक्सिडेंट व जरूरी विटामिन पाए जाते है को कोलेस्ट्रोल को घटाते है।हृदय के लिए भी उपयोगी है। इसके लगातार उपयोग करने से बाल भी नहीं झड़ते है।कच्ची घानी तेल का बेहतरीन स्वाद दिल की बीमारियों से रछा करता है ,दिमाग को तेज रखता है और रक्त वाहिनियों को बंद होने से बचाता है ।इसमें संतृप्त वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रोल लेवल सामान्य रहता है। इसके सेवन से शरीर के अंदर पाए जाने वाले टॉक्सिंस बाहर निकाल जाते है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है। 11.बंदगोभी – यह विटामिन सी का बढ़िया स्रोत है। यह लो कैलोरी फूड है जो डायटिंग प्रोग्राम्स के लिए परफेक्ट है। कच्ची या पकी किसी भी प्रकार की पत्तागोभी शूगर व कार्बोहाइड्रेट्स को फैट में कनवर्ट होने से रोकती है। 12.दालचीनी और लौंग – भारतीय खाने में इस्तेमाल होने वाली ये दोनों चीजें इन्सुलिन फंक्शन को सुधारने के साथ ग्लूकोज की मात्रा को भी कम करती है।यह दोनों प्रकार की डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभदायक है। दालचीनी एंटिसेप्टिक, एंटीफंगल,और एंटीवाइरल के गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसका सेवन उदर, स्वास, दांत त्वचा आदि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह पाचक रसो के स्राव को भी उत्तेजित करती है। यह थकान ,सिरदर्द, अर्थराइटिस,मुहांसों,दांत दर्द में भी फायदेमंद है। 13.जीरा – जीरे में लौह तत्व,मैंगनीज की प्रचूर मात्रा पाई जाती है जो अग्नसई इंजाइम के स्राव में मदद करता है। यह पाचन में भी सहायक होता है। लौह, हिमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में सहायक होता है।डायबिटीज ,कब्ज गले संबंधी बीमारियों,सर्दी आदि में बहुत लाभकारी है। 14.कालीमिर्च – कालीमिर्च कीटाणुओं को मारता है, मसूड़ों के सूजन को समाप्त करता है। 15.प्याज – प्याज की तासीर गर्म होती है।इसमें kalicin और विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है।इसलिए यह सेहत की दृष्टि से भी उपयोगी है।इसे आप कच्चा खाए या सब्जियों के साथ पकाकर ,हर हाल में यह लाभ ही देता है ।यह सिर दर्द,बवासीर में बहुत लाभकारी है। 16.पालक – पालक का साग तो आपने जरूर खाया होगा लेकिन पालक से जुड़ी कुछ बातो पर शायद ही आपने ध्यान दिया हो ।ऎसा माना जाता है कि पालक सबसे पहले पश्चिम – दक्षिण एशिया में उगाया गया था ।उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में इसका व्यापार शुरू हुआ।अफ्रीका के बाद 12वी सतब्दी में इंग्लैंड में पालक की खेती शुरू हुई थी ,ये तो बात इतिहास की हुई पर बात जब सेहत की हो तो इसका भी कोई सानी नहीं ,सब्जियों व साग में लौह, खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है ,किन्तु पालक में प्रकृति ने शरीर को शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के पोषक तत्वों का समावेश किया है।अगर पालक को उबालकर कच्चा प्रयोग में लाते है तो ये कै गुना ज्यादा आपके स्वास्थ को लाभ देता है। मोटे अनाजों में पल्प अर्थात गुदा अधिक होता है इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती है।यह पचने में आसान होता है जिससे आपका हाजमा भी दुरुस्त रहता है।यह शरीर में फैट को बड़ने नहीं देता। बेशक सर्दियों में लोग मोटे अनाज को प्राथमिकता देते है पर आप तासीर के अनुसार इसका सेवन गर्मियों में कर सकती है ।जैसे मक्के की तासीर ठंडी होती है जबकि बाजरा गर्म तासीर का होता है।इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है। अतः हम सभी को मसालों सुपरफूड्स को ध्यान में रखते हुए इनका सेवन करना चाहिए।

लेखक – बृजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com

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दुनियां का पहला हवाई जादा

दुनियां का पहला हवाई जादा- शिवकर बापूजी तरपदे एक भारतीय विद्वान थे। उन्होंने 1895 में एक मानवरहित विमान का निर्माण किया था।इनका जन्म 1864 ईसवी में मुंबई ,महाराष्ट्र के एक मराठा यादव परिवार में हुआ था।इन्होंने जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई के स्कूल में अध्ययन किया और वहीं शिक्षक नियुक्त हुए।अपने विद्यार्थी जीवन काल में इनको श्री चिरंजी लाल वर्मा से वेद में वर्णित विधाओं की जानकारी इनको मिली। इन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती कृत ऋग्वेदादीभास्यभूमिका एवम् ऋग्वेद एवम् यजुर्वेद भास्य एवम् महर्षि भारद्वाज की विमान सहिंता का अध्यन कर प्राचीन भारतीय विमानविद्या पर कार्य करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने संस्कृत सीखकर वैदिक विमान विद्या पर रिसर्च शुरू किया। सुब्रमण्यम शास्त्री ने शिवकर की मदद से एक लैब स्थापित किया और वेद मंत्रो के आधार पर आधुनिक काल में पहला वैदिक विमान का मॉडल निर्माण किया। इसका परीक्षण सन 1895 ईसवी में मुंबई के चौपाटी समुद्रतट पर किया गया था जिसे देखने तिलक भी आये थे। ऐसा पढ़ने को मिलता है।परंतु उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार विमान उड़ाने का पहला प्रयास सन 1915 से सन 1917 ईस्वी के मध्य हुआ था।यह कार्य बेंगलुरु के पंडित सुब्रमण्यन के स्वर्गवास 17 सितंबर 1917 को उनका स्वर्गवास हुआ एवम् मरूत सखा विमान निर्माण का कार्य अधूरा रह गया। पंडित शिवकर बापूजी तलपदे का विवाह श्रीमती लक्ष्मी बाई से हुआ था।उनके दो पुत्र एवम् एक पुत्री थे।जेष्ठ पुत्र मोरेश्वर मुंबई पौरपालिका के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे एवम् कनिष्ठ पुत्र बैंक ऑफ बॉम्बे में लिपिक थे। पुत्री का नाम नबुबाई था। पंडित शिवकर बापूजी तलपदे ने निम्न पांच पुस्तके लिखीं हैं।1- प्राचीन विमान कला का शोध। 2- ऋग्वेद प्रथम शुक्त व उसका अर्थ। 3- पतंजलि योगदर्शन अंतर गत शब्दों का भूतार्थ दर्शन। 4- मन और उसका बल। 5- गुरु मंत्र महिमा। उड्डयन का इतिहास – उड्डयन संबंधी यांत्रिक युक्तियों के विकास का इतिहास है। यह पतंगों,ग्लाइडर आदि से शुरू होकर सुपर सानिक विमानों एवम् अंतरिक्ष यानों तक जाता है। वैमानिक शास्त्र – संस्कृत पद्य में रचित एक ग्रंथ है जिसमें विमानों के बारे में जानकारी दी गई है।इस ग्रंथ में बताया गया है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वर्णित विमान रॉकेट के समान उड़ने वाले प्रगत वायु गतिकिय यान थे।यही विमान के बारे में लिखीं पहली किताब है। 1250- रोजर बैकन यांत्रिक उड़ान के बारे में लिखा। 1485-1500- लिओनार्डो डाविंची ने उड़ने वाली मशीन व पैराशूट की डिजाइन की। 1783- मंटा गालफियर बन्धु ने प्रथम हवा से हल्की यान बनाया(गुब्बारा )। 1895- शिवकर बापूजी तलपदे ने मुंबई के जुहू चौपाटी के समुद्र तट पर विमान उड़ाया जो 1500 फिट ऊपर उड़ा और फिर नीचे गिर गया।1903- ऑर्विल राइट और बिल्वर राइट ने पहला सफल स्वतः अग्रगामी वायुयान उड़ाया। पुष्पक विमान – हिन्दू पौराणिक महाकाव्य रामायण में वर्णित वायु वाहन था। इसमें लंका का राजा रावण आवागमन किया करता था।इसी विमान का उल्लेख सीता हरण प्रकरण में भी मिलता है।यह विमान मूलतः धन के देवता,कुबेर के पास हुआ करता था,किन्तु रावण ने अपने इस बड़े भाई कुबेर से बलपूर्वक उसकी नगरी सुवर्नमंडित लंकापुरी तथा इसे छीन लिया था।अन्य ग्रंथों में उलेख अनुसार पुष्पक विमान का प्रारूप एवम् निर्माण विधि अंगिरा ऋषि द्वारा एवम् इसका निर्माण एवम् साज सज्जा देव शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा कि गई थी।भारत के प्राचीन हिंदू ग्रंथो में लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व विमान एवम् युद्धों में तथा उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन दिया है।इसमें बहुतायत में रावण के पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है।इसके अलावा अन्य सैनिक छमतावो वाले विमानों,उनके प्रयोग,विमानों की आपस में भिड़ंत अदृश्य होना और पीछा करना,ऐसा उल्लेख मिलता है। यहां प्राचीन विमानों कि मुख्यत दो श्रेणियां बताई गई है – प्रथम मानव निर्मित विमान, जो आधुनिक विमानों कि भांति ही पंखों के सहायता से उड़ान भरते थे,एवम् द्वितीय आश्चर्य जनक विमान, जो मानव द्वारा निर्मित नहीं थे किन्तु उनका आकार प्रकार आधुनिक उड़न तश्तरियों के अनुरूप हुआ करता था। पौराणिक संदर्भ – विमान निर्माण,उसके प्रकार एवम् संचालन का संपूर्ण विवरण महर्षि भारद्वाज विरचित वैमानिक शास्त्र में मिलता है।यह ग्रंथ उनके मूल प्रमुख ग्रंथ यंत्र – सर्वेश्वम का एक भाग है।इसके अतिरिक्त भारद्वाज ने अंशु बोधिनी नामक ग्रंथ भी लिखा है,जिसमें ब्रह्माण्ड विज्ञान का ही वर्णन है। उस समय के इसी ज्ञान से निर्मित व परिचालित होने वाले विमान,ब्रह्माण्ड के विभिन्न ग्रहों में विचरण किया करते थे।इस वैमानिक शास्त्र में आठ अध्याय ,एक सौ अधिकरण,पांच सौ सूत्र और तीन हजार श्लोक है। यह ग्रंथ वैदिक संस्कृत भाषा में लिखा है। इस विमान में जो तकनीक प्रयोग हुई है,उसके पीछे आध्यात्मिक विज्ञान ही है। ग्रंथो के अनुसार आज में किसी भी पदार्थ को जड़ माना जाता है,किन्तु प्राचीन काल में सिद्धि प्राप्त लोगो के पास इन्हीं पदार्थो में चेतना उत्पन्न करने की छमता उपलब्ध थी,जिसके प्रयोग से ही वे विमान की भांति परिस्थितियों के अनुरूप ढलने वाले यंत्र का निर्माण कर पाते थे। वर्तमान काल में विज्ञान के पास ऐसे तकनीकी उत्कृष्ट समाधान उपलब्ध नहीं है,तभी ये बाते काल्पनिक एवम् अतिशयोक्ति लगती हैं।उस काल में विज्ञान में पदार्थ की चेतना को जागृत करने की क्षमता संभवतः रही होगी जिसके प्रभाव से ही यह विमान स्व संवेदना से क्रियाशील होकर आवश्यकता के अनुसार आकार परिवर्तित कर लेता था।पदार्थ की चेतना को जागृत करने जैसी विधावो के अन्य प्रमाण भी रामायण एवम् विभिन्न हिंदू धर्म ग्रंथो में प्राप्त होते है।पुष्पक विमान में यह भी विशेषता थी कि वह उसी व्यक्ति से संचालित होता था,जिसने विमान संचालन यंत्र सिद्ध किया हो। दुनिया का पहला हवाई जहाज बनाने वाला राइट ब्रदर्स नहीं बल्कि एक भारतीय था। आपको बस यह पता है कि राइट ब्रदर्स ने अमेरिका के कैरोलीन तट पर17दिसंबर सन् 1903 को यह कारनामा किया था और उनका बनाया हवाई जहाज करीब 120 फीट की ऊंचाई तक उड़ कर गिर गया था।क्युकी हमें यह पड़ाया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि एक भारतीय कई वर्षों पहले यह कारनामा कर चुका था जिन्होंने सन् 1895 में बहुत बड़ा विमान बनाया था और उसे मुंबई कि चौपाटी के समुद्र तट पर उड़ाया था।यह हवाई जहाज 1500 फीट ऊपर उड़ा और तब नीचे आया था।इनका नाम शिवकर बापूजी तलपदे था जो मुंबई के चिरा बाजार के रहने वाले थे और मुंबई स्कूल ऑफ आर्ट्स के अध्यापक व वैदिक विद्वान थे।उन्होंने महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखे विमान शास्त्र नामक पुस्तक पड़कर ऐसा किया था,जिसके 8 अध्याय में विमान बनाने की तकनीक का वर्णन है। इस विमान का नाम शिवकर बापूजी तलपदे ने मरुत्सखा रखा था जिसका अर्थ हवा का मित्र होता है।इस घटना को बाल गंगाधर तिलक ने अपने पंजाब केसरी के संपादकीय में भी जगह दी थी,साथ ही इस मौके पर दो अंग्रेज पत्रकार भी वहां मौजूद थे। और लंदन के अखबारों में भी यह खबर छपी थी।तत्कालीन भारतीय जज महादेव गोविंदा रानाडे और बड़ोदरा के राजा सत्याजी राव गायकवा ड भी इस घटना के गवाह रहे थे।हजारों लोगों की उपस्थिति में यह विमान उड़ा था। 18 वीं सदी से पहले पूरे विश्व में हवाई जहाज की कोई कल्पना नहीं थी,जब अंग्रेज भारत में आए तो उन्होंने हमारे धर्म ग्रंथों को पढ़ने समझने के लिए संस्कृत सीखी।लॉर्ड मैकाले ने 25वर्ष तक संस्कृत से हिंदू ग्रंथो का अध्यन किया।भारत का ज्ञान रूप से इतना समृद्ध देख कर उसको विश्वास हो गया कि बौद्धिक ज्ञान विज्ञान की समृद्धि के वजह से वो लंबे समय तक भारत को गुलाम बनाने में असफल रहेंगे।अतः उसने हमारे धर्म ग्रंथों में मिलावट तथा झूठी बातों का प्रचार प्रसार करना शुरू किया और राम और पुष्पक विमान को कोरी कल्पना कहना शुरू कर दिया। वो कहते की दिखावों कहा कुछ हवा में उड़ता है ।यह रामायण काल्पनिक है।शिवकर बापूजी तलपदे ने इस कथित कल्पना को सत्य सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंग्रेजो के सामने गुलामी के काल में ही अपने संस्कृत व वेद – उपनिषद के ज्ञान से विश्व का सबसे पहला हवाई जहाज बना के दिखा दिया था।लेकिन इस घटना के बाद वे हमेशा अंग्रेजो के नजरो में खटकते रहे और उनको साजिशों का शिकार होकर गुमनाम हो गए। लंदन की एक कंपनी रिले ब्रदर्स कू के कुछ लोग तलपड़े से मिलने आए और उनसे कहा कि वो डिजाइन मुझे सौंप दे।वे उनकी मदद देने के लिए कहा अंग्रेजो ने धोखा किया ,उन्होंने तकनीक समझ लिया और लंदन से अमेरिका यह डिजाइन पहुंचा दिया।यह कंपनी ब्रिटेन से संबंधित थी। विमान शास्त्र में8 अध्यावो में 3000 हजार श्लोकों और 100 खंडो में विमान बनाने की तकनीक बताई गई है।विमान शास्त्र के मुताबिक 32 तरीको से 500 तरह के विमान बनाए जा सकते है। ये हिंदुस्तान के पहले हवाई जादा थे केसरी अखबार भी इसका उल्लेख करता है ।कुछ लोगो ने कहा तलपदे का विमान हवा में 30 मील तक उड़ा था और 17 मिनट बाद क्रैश हो गया।पत्नी की मृत्यु के बाद उनको तोड़ दिया।53 साल की उम्र में1917 में इनकी मृत्यु हो गई ।इसके बाद हवाई जहाज के ढांचे को उनके रिश्तेदारों ने बेंच दिया।

लेखक – ब्रिजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com

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मोटे अनाज

मोटे अनाज

मोटे अनाज है सेहत का खजाना- अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष2023 को हम मोटे अनाजो के वर्ष के रूप मना रहे है।यू तो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते है पर अगर हम सभी खाने – पीने पर विशेष ध्यान दे तो एकदम स्वस्थ रहे। यदि महिलाएं मोनोपॉज अर्थात रजो धर्म से पहले मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदि अनाज 30ग्राम प्रति दिन के हिसाब से सेवन करे तो छाती के कैंसर का खतरा लगभग52०/० कम हो जाता है।रोजाना अपने डाइट में 20 से30 फीसदी मोटे अनाजों का सेवन करने पर बीमारियों का खतरा बेहद ही कम हो जाता है।इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनती है और शारीरिक – मानसिक मजबूती भी मिलती है।वैसे तो दुनिया में मिलेत की 13 वराइटी मौजूद है,लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष2023 के लिए 8 अनाजों – बाजरा,रागी,कुटकी,सेवा,ज्वार,कंगनी,चेना और कोदो को शामिल किया गया है। यदि हम बात करे मोटे अनाजों के पौष्टिक महत्व की तो कई रोगों से छुटकारा पाने में ये मोटे अनाज महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। ह्रदय रोग ,कैंसर गठिया रोग ,सूजन का खतरा कम करते है और शरीर की प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाते है। इसमें प्रोटीन,वसा,लौह,रेशा,कैल्शियम और जिंक की भी भरपूर मात्रा होती है। मोटे अनाजों में रेशा की मात्रा काफी अधिक होती है लेकिन सामान्य खाने से यह नहीं मिल पाता है।इसलिए मोटे अनाजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।कोदो,बाजरा,हरी कंगनी और बर्री में सबसे ज्यादा रेशा होता है। बिषेसेज्ञ यह नहीं कहते कि चावल,गेहूं या मक्का को भोजन में ही न शामिल करे बल्कि मोटे अनाजों को भी शामिल करे क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का प्रमुख उद्देश्य खाने में विविधता पैदा करना है ताकि शरीर स्वस्थ रहे, जब सभी लोग इनका सेवन करेगे तो देश में इसका उत्पादन बढ़ेगा और किसान कम खर्च में इसे पैदा करने के लिए प्रेरित होंगे और इससे उनकी आय के खर्च में भी इजाफा होगा। चावल और गेहूं के मुकाबले बाजरा,रागी,ज्वार ,कुटकी,कोदो, कागनी चेना सवा,हरी कागानी में प्रचूर मात्रा में लौह तत्व पाए जाते है।मोटे अनाजों बाजरा,रागी,कुटकी ,बर्री,शमक में जिंक भरपूर मात्रा में होता है ।

मोटे अनाज

आइए जनता है मोटे अनाजों के बारे में – रागी(finger millet)- रागी में प्रोटीन7.2ग्राम,वसा 1.92ग्राम ,लौह 4.6 एमजी,रेशा 11.18एमजी,कैल्शियम 364एमजी,जिंक 2.50एमजी। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है जो कि हृदय रोग एथरोस्क्लेरोसी स को बढ़ावा देता है। रागी को देशी भाषा में नचनी भी कहते है।इस अनाज का रंग लाल भुरा और स्वाद अखरोट जैसा होता है।रागी के नियमित सेवन से मधुमेह और रक्तचाप जैसी बीमारियों को नियंत्रित कर सकते है। यह विटामिन बी से भरपूर होता है। कंगनी (foxtail millet) – कंगनी में प्रोटीन12.3ग्राम ,वसा 4.3ग्राम, लौह 2.8एमजी,रेशा 4.25एमजी,कैल्शियम31एमजी,जिंक2.40एमजी होता है। कंगनी को एसियाई देशों में उगाया जाता है। इस मिल्लेट का दाना पीला होता है जिसे दलिया से लेकर पुलाव जैसे कई व्यंजन बनने में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद अखरोट जैसा होता है। यह आयरन पोटैसियम और मैग्नेशियम से भरपूर होता है। चेना (proso millet ) – चेना एक ऐसा अनाज है जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है।भारत के साथ साथ यूरोप ,चीन और अमेरिका में इससे सूप,दलिया और नूडल बनाए जाते है। ये मिल्लेत फैट और कोलेस्ट्रोल फ्री होता है साथ ही चेना प्रोटीन ,रेशा,विटामिन बी,आयरन और जिंक समेत कई विटामिन और खनिजों का मुख्य स्रोत है। कोदो – कोदो एक पारंपरिक अनाज है। इसे केद्रव भी कहते है।कोदो में प्रोटीन8.3ग्राम,वसा 1.4ग्राम,लौह.5एमजी,रेशा 9.०एमजी,कैल्शियम27एमजी,,जिंक1.65एमजी होता है। इसमें कैंसर,पेट और मधुमेह के रोग दूर करने कि शक्ति होती है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते है।इसकी फसल धान की तरह होती है। सावा – सावा को देश के अलग- अलग भागो में उड़ालू या झंगोरा के नाम से जाना जाता है सावा का इतिहास भी बाकी मोटे अनाजों की तरह हजारों साल पुराना है इसका मौजूद रेशा ,प्रोटीन ,आयरन,कैल्शियम और विटामिन बी आदि शरीर को खास ऊर्जा देते है। इसके नियमित सेवन से सूजन,हृदय रोग और डायबिटीज का खतरा भी कम होता है।किसान भी सावा उगाना बेहद पसंद करते है क्युकी इसमें कीट या बीमारियां लगने का खतरा नहीं रहता है। ज्वार(sorghum)- ज्वार में प्रोटीन10.4ग्राम,वसा3.1ग्राम,लौह5.4एमजी,रेशा 2.98एमजी, कैल्शियम23एमजी,जिंक3.00एमजी होता है।ज्वार कैंसर ,डायबिटीज के खतरे को कम करता है और इसमें मैग्नेशियम पर्याप्त मात्रा में होता है जो कि कैल्शियम के अवशोषण को बढ़िया बनाता है और हड्डी को मजबूत बनाता है।यह रक्त दाब, बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है ।यह एल्कलाइन होता है और अमलता को कम करता है। इसमें फोलिक अमला पाया जाता है जो कि नया कोसिकावो का निर्माण करता है और d.n.a के परिवर्तन को रोकता है जो कि कैंसर का कारण बनता है। यह आंखो के लिए बढ़िया होता है जोकि हमारे शरीर में एक इंजाइम की क्रियाविधि को बढ़ावा देता है जोकि विटामिन ए का निर्माण करता है और विटामिन ए रतौंधी के उपचार में उपयोगी है। खांसी जुकाम होने पर ज्वार के दानों को गुड़ में मिलाकर खाया जाता है।ज्वार के आंटे से बना काजल आंखो को ठंडक देता है। कुटकी(little millet) – कुटकी के ज्यादातर गुड़ चेना से मिलते है। कुटकी में प्रोटीन7.7ग्राम,वसा4.7ग्राम,लौह9.3एमजी,रेशा7.6एमजी,कैल्शियम17एमजी,जिंक1.82एमजी होता है।इसकी खेती करना किसानों के लिए जितना आसान है ,इसके सेवन से भी उतने फायदे होते है।कुटकी की फसल 65से75 दिनों में पक जाती है।कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर सुगर को नियंत्रित करने में असरदार माना जाता है। बाजरा (pearl millet)- बाजरा सबसे ज्यादा उगाए और खाए जाने वाला मोटा अनाज है,जिसकी सबसे ज्यादा खेती भारत और अफ्रीका में की जाती है।बाजरा को कई इलाकों में बजरी और कंबू के नाम से भी जानते है। बाजरा को हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।कम सिंचाई वाले इलाकों के लिए बाजरा की फसल वरदान है।इसमें प्रोटीन 11.6ग्राम,वसा 2.7से7.1०ग्राम,लौह7.1एमजी,रेशा 2.6से4…0एमजी,कैल्शियम4.5एमजी,जिंक2.76एमजी होता है। यह बाइल एसिड के स्राव को कम करता है जो कि gallstones शरीर में बनाता है। इसमें थियामिन,रीबिफ्लावी न और नियासिन भी होता है। यह मोटापा कम करता है। इससे मोटे दानों को अलग करने के बाद पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ।इतना ही नहीं बाजरे के फसल अवावशेशो से जैव ईंधन भी बनाया जाता है। प्रोटीन, फाइबर ,अमीनो अम्ल समेत कई पोषक तत्वों से भरपूर millet se ब्रेड,कोक्कीज समेत कई व्यंजन बनाए जाते है। मोटे अनाजों में पल्प अर्थात गुदा अधिक होता है।इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती है। यह पचने में आसान होता है जिससे आपका हाजमा भी दुरुस्त रहता है।यह शरीर में फैट को बढ़नेनहीं देता।बेशक सर्दियों में लोग मोटे अनाज को प्राथमिकता देते है पर आप तासीर के अनुसार इसका सेवन गर्मियों में कर सकती है।जैसे बाजरा गर्म तासीर का होता है और इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है। जबकि मक्के की तासीर ठंडी होती है।आइए मोटे अनाजों का प्रयोग पुनः अपने भोजन में शामिल करे और अपने आपको स्वस्थ रखे।

लेखक – बृजेश कुमार पटेल

Brijesh Kumar Patel

Writer, Thinker Scientific Learner & Teacher

Siroli, Jaunpur UP | +91 8382831904 | brijeshkumarp83@gmail.com

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Understanding How Disabled and Readonly Attributes Affect HTML (input, select) Form Field Submissions

Welcome to this post! Let’s quickly dive into the main topic.

I recently encountered an issue while working with Laravel (PHP) forms. I had a scenario where I needed to submit an EDIT form with certain fields disabled and their values already pre-filled. However, upon form submission on the server side, I noticed that the values of these fields were missing.

I became curious about why these fields were behaving this way and decided to update the code. I used the ‘disabled’ attribute for these fields to prevent editing. While I had previously used the ‘readonly’ attribute, it didn’t provide the desired user interface as it didn’t visually convey that the field was non-editable.

As a result, I received a question: “If a form field has the ‘disabled’ attribute, will it not submit its value with the form?”

After conducting a quick search, I found the answer that not only resolved my issue but also refreshed my understanding of the basics related to this challenge.

Answer: Yes, that’s correct. When a form field has the ‘disabled’ attribute, its value will not be submitted with the form upon submission to the server. This is because web browsers consider disabled fields as non-editable and exclude them from form submissions. If you need to submit the value of a field while preventing users from editing it, using the ‘readonly’ attribute is a better option. Unlike the ‘disabled’ attribute, the ‘readonly’ attribute allows the field’s value to be submitted with the form while still preventing user edits.

I hope you found this succinct post informative and valuable for your learning journey.

Thank you for taking the time to read, and happy learning!

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Laravel; How to pull existing records on select change event using session type and date passed to dynamic web route in Laravel?

Welcome to Post,

Lets learn how to do the thing in the question, assuming you have basic or advance knowledge or learning something of your own to understand the things or you have got stuck due to simple issues of mistakes.

Using jQuery, HTML, Laravel Blade, Controller, Web Route and AJAX.

Lets begin.

Lets we talk first and defined about the HTML form field and its jQuery functionality. (I will be skipping middle parts of the code what it does and how its populated for the form fields ) and we will be using two fields here to show the example : session_date and session_type, which would look like below in the html code. session_type values would be morning, evening and so on for the day session.

<div class="row">
                            
                            <div class="form-group col-md-3">
                                <label for="session_date">Session Date:<sup>*</sup> </label>
                                <input type="date" name="session_date" id="session_date" class="form-control jsSessionDate" 
                                    value="{{ old('session_date', now()->format('Y-m-d'))}}"    
                                />
                                <!--<div class="text-end"><small class="text-muted"></small></div>-->
                            </div>
                            
                            <div class="form-group col-md-3">
                                <!--<input type="hidden" name="session_type" class="form-control hide mt-1" value="morning" />-->
                                                
                                <label for="session_type">Select Session Type:<sup>*</sup></label>
                                <select name="session_type" id="session_type" class="form-select text-capitalize jsSessionTypeChange" 
                                    >
                                    @foreach ($sessions_types as $ddSession)
                                        <option value="{{ $ddSession }}" {{old('session_type') ==  $ddSession ? 'selected' : ''}}>{{ $ddSession }}</option>
                                    @endforeach
                                </select>
                            </div>
                        </div>

Once we have the basic fields ready in HTML side we can write the jQuery side of it to fetch the records and make the AJAX call our server side of Laravel Controller.

$(document).on('change', '.jsSessionTypeChange', function(e) {
                const { value } = e.target;
                const sessionDateVal = $('.jsSessionDate').val();
                console.log(value)
                
                if(!value) return;
                
                const $this = $(this);
                const payload = { 
                    _token:  $('meta[name="csrf-token"]').attr('content'),
                };
                
                const sessionType = value || 'morning';
                const sessionDate = sessionDateVal ?? {{now()->format('Y-m-d')}};
                
                const baseUrl = window.location.origin+'/ams';
                const url = `${baseUrl}/existing-session/${sessionType}/${sessionDate}`;
                    
                console.log({url, sessionType, sessionDate});
                
                $.ajax({
                    url,
        			type: "get",
        			cache: false,
                }).done(function(resp) {
                    if(resp) {
                          console.log({
                              resp
                          })
                    }
                   })
                   .fail(function(err) {
                     console.error("Existing session fetch  error: ", err, err.responseText);
                });
            });

//IGNORE THE CONSOLE LOGS

Here, I am getting values from date filed and select dropdown for session type, on session type change event forming server side api end point url, not using PHP Laravel Blade example with javascript is its very difficult for blade to understand passing dynamic javascript variable to it.

Because PHP code executed on the page load even we defining the blade {{ }} in onChange event function scope. so its looks for that variable and its goes undefined , tried otherways around the then get the error from rotue generation syntax as route is forming dynamically.

So I thought to set back with simple Javascript code for forming the base URL and its endpoint for ajax call to happen.

Giving you context what I said above and for what thing i was trying to do in Javascript of code using Laravel Blade syntax, which didn’t worked out simply.

Try 1:

const type = value || 'morning';
const url = "{{ route('existing-session', ['sessionType' => '${type}']) }}";

$.ajax({
    url: url,
    // ... rest of your AJAX configuration
});

Try 2:
const type = value || 'morning';
const url = "{{ route('existing-session', ['sessionType' => '${type}']) }}";

$.ajax({
    url: url,
    // ... rest of your AJAX configuration
});

Try 3: Finally
const type = value || 'morning';
const baseUrl = window.location.origin;
const url = `${baseUrl}/existing-session/${type}`;

$.ajax({
    url: url,
    // ... rest of your AJAX configuration
});

Okay, now our HTML and JQUERY code is ready, lets quickly add in to our routes/web.php, dynamic route for ajax to work!

// To get existing Session on Create View
Route::get('existing-session/{sessionType}/{sessionDate}', [App\Http\Controllers\EventSessionController::class, 'existingSession'])->name('existing-session');

Now Finally in Controller side, write as method to get the sessionType and sessionDate and pull it the data from database and return as json response to the ajax call. Then we are good to finish!

public function existingSession($sessionType, $sessionDate) {
    // Fetch session with today's date and specific session type

    if($sessionType  !== '' && $sessionDate !== '') {
        $existingSession = EventSession::with(['members', 'samagams'])->where('session_type', $sessionType)
        ->whereDate('session_date', $sessionDate ?? now()->format('Y-m-d'))
        ->first();

        $response = ["data" => $existingSession, "success" => true, "error" => false, "message" => $sessionType." session found for date ".$sessionDate];
    } else {
        $response = [ "data" => null, "success" => false, "error" => true, "message" => "No existing session found for given session type ". $sessionType ." and date " .$sessionDate];
    }

    return response()->json($response);
}

Voila, your quick AJAX example ready in Laravel with pulling in data with dynamic passing of data to the GET route.

Hope this gives you hints, idea how to do the things in PHP Laravel.

Thanks for reading the post and happy learning!